भारतीय सिनेमा में गीतों के फिल्मांकन को लेकर हमारे निर्देशकों का समर्पण किसी से कम नहीं रहा। ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘साहब बीवी और गुलाम’ जैसी कालजयी फिल्में देने वाले गुरुदत्त की फिल्मों में मौजूद गीतों से लेकर फिल्मांकन की कार्यशैली तक को आप नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे। 9 जुलाई, 1925 को उनकी 99वीं जन्मतिथि पर उनकी कार्यशैली और फिल्मों से जुड़ी यादों को ताजा करता आलेख…
विविध प्रकार का सिनेमा बनाकर निर्माता, निर्देशक और अभिनेता गुरुदत्त ने अपने नाम की सार्थकता को साबित किया। हालांकि, उनका शुरुआती जीवन काफी संघर्षमय रहा, लेकिन जीवन में कुछ बड़ा करने की चाहत उन्हें लगातार आगे बढ़ने को प्रेरित करती थी। शुरुआत में कुछ फिल्मकारों को असिस्ट करने के बाद फिल्म ‘बाजी’ से बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत करने वाले गुरुदत्त की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।